अव्यय की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
अव्यय शब्द दो शब्दों के योग से बना है – अ + व्यय अर्थात् जिसका कभी व्यय नहीं होता है , उसे अव्यय कहते हैं ।
अव्यय की परिभाषा
जिन शब्दों का रूप लिंग, वचन और कारक से प्रभावित नहीं होता है, अव्यय कहलाते हैं । जैसे- अब, जब, तब, इधर,उधर, यहाँ, वहाँ, कब, क्यों, आह, वाह,ठीक, अरे, और, तथा, किन्तु, परन्तु, लेकिन, अगर, मगर, इसलिए, अत:, अतएव,चूँकि इत्यादि ।

अव्यय के भेद –
अव्यय शब्द चार प्रकार के होते हैं –
(१) क्रिया विशेषण अव्यय शब्द
(२) सम्बम्धबोधक अव्यय शब्द
(३) समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
(४) विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द
क्रिया विशेषण अव्यय शब्द
क्रियाविशेषण किसे कहते हैं उसके भेद – यहाँ देखें
सम्बम्धबोधक अव्यय शब्द
जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध अन्य शब्दों से बतलाते हैं, उन्हें सम्बम्धबोधक अव्यय कहते हैं ।
उदाहरण –
????नदी के पार हमारा गांव है ।
????घर के पीछे स्कूल है ।
????जल के बिना जीवन संभव नहीं है ।
????वह दिन भर उदास बैठा रहा ।
????चोर चौराहे तक गया ।
????तुम्हारा मकान वहाँ से कितनी दूर है ।
सम्बम्धबोधक अव्यय के भेद
इन अव्यय शब्दों के प्रयोग प्रमुखत: तीन आधारों पर किए जाते हैं –
(१) प्रयोग के आधार पर
(२) उत्पत्ति के आधार पर
(३) अर्थ के आधार पर
(1) प्रयोग के आधार पर
इस आधार पर संबंधबोधक अव्यय शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(१) सम्बद्ध संबंधबोधक – ये अव्यय शब्द संज्ञा की विभक्तियों के पीछे लगते हैं । जैसे-
जल के बिना , पानी की तरह , कुबेर के बिना
(२) अनुबद्ध संबंधबोधक – ये अव्यय शब्द संज्ञा के विकृत रूप के बाद प्रयुक्त होते हैं । जैसे-
किनारे तक , मित्रों सहित , कटोरे भर , पुत्रियों समेत आदि ।
(2) व्युत्पत्ति के आधार पर
इस आधार पर भी संबंधबोधक अव्यय शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(१) मूल संबंधबोधक – स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाले संबंधबोधक अव्यय शब्द । जैसे-
बिना, तरह, नाईं, प्रर्यन्त, पूर्वक आदि ।
(२) योगिक संबंधबोधक – किसी संज्ञा, विशेषण, क्रिया या क्रिया विशेषण से बनने वाले अव्यय शब्द। जैसे-
तुल्य , समान, उल्टा, ऐसा, पलटे, लेखे, अपेक्षा , मारफत, ऊपर, भीतर, यहाँ, वहाँ, बाहर, लिए, चलते, जाने, मारे आदि।
(3) अर्थ के आधार पर
इस आधार पर संबंधबोधक अव्यय शब्द 13 प्रकार के होते हैं –
कालवाचक | आगे, पीछे, पहले, बाद, पूर्व, पश्चात्, अनन्तर, उपरान्त |
स्थानवाचक | आगे, पीछे, ऊपर ,नीचे, सामने , तले, पास,दूर,नजदीक, निकट, भीतर, बाहर ,अंदर, बीच,परे समीप, |
दिशावाचक | तरफ, ओर ,पार ,आरपार, प्रति, आसपास |
साधनवाचक | द्वारा, जरिए, हाथ , मारफत, सहारे,बल,जबानी |
हेतुवाचक | लिए, निर्मित, वास्ते, हेतु, खातिर, कारण, मारे, चलते |
विषयवाचक | बाबत, विषय, नाम, लेखे, भरोसे |
व्यतिरेकवाचक | सिवा , अलावा, बिना, बगैर, अतिरिक्त, रहित |
विनियमवाचक | पलटे, बदले, एवज, जगह |
सादृश्यवाचक | समान, तरह, भाँति, नांईं,बराबर, तुल्य, योग्य, लायक, अनुकूल, सदृश, अनुसार ,सरीखा,सा,से,सी,ऐसा,जैसा,मुताबिक |
विरोधवाचक | विरुद्ध, खिलाफ, विपरीत, उल्टा आदि । |
सहचारणवाचक | संग, साथ, समेत, सहित, अधीन, वश, स्वाधीन, पूर्वक |
संग्रहवाचक | तक , लौ, पर्यन्त, मात्र, भर आदि । |
तुलनावाचक | अपेक्षा , बनिस्बत, आगे, सामने |
समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं ।
उदाहरण –
????मैं और सोहन खाना खा रहे हैं ।
????मैं वहाँ गया, परंतु राम नहीं मिला ।
????कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और राधा नाचती थी ।
????दो और दो चार होते हैं ।
????उसने कठिन मेहनत की परंतु सफल न हो सका ।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद
ये अव्यय शब्द मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
(१) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(२) व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
जिन अन्य शब्दों के द्वारा मुख्य वाक्यों को जोड़ा जाता है, वे सामानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द कहलाते हैं । ये पुन: चार प्रकार के हो जाते हैं ।
संयोजक | और, व, एवं ,तथा आदि । |
विभाजक | या, वा, अथवा, कि, किंवा, नहीं तो, क्या- क्या , न कि, चाहे, अपितु |
विरोधदर्शक | किंतु, परंतु, लेकिन, अगर, मगर, पर, बल्कि, वरन् |
परिणामदर्शक | इसलिए, सो, अतः, अतएव |
(2) व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
जिन अव्यय शब्दों के द्वारा एक मुख्य वाक्य में किसी आश्रित उपवाक्य को जोड़ा जाता है । ये भी पुन: चार प्रकार के हो जाते हैं –
कारणवाचक | क्योंकि, चूँकि, इसलिए ,इस कारण |
उद्देश्यवाचक | ताकि, जिससे कि |
संकेतवाचक | जो-तो, यदि-तो, यद्यपि- तथापि , चाहे- परंतु |
स्वरूपवाचक | अर्थात्, याने, मानो |
विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द
ऐसे अव्यय शब्द जिनका वाक्य से तो कोई संबंध नहीं रहता है, परंतु वे वक्ता के हर्ष, शोक, विस्मय, तिरस्कार आदि भावों को सूचित करते हैं , विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द कहलाते हैं ।
उदाहरण –
????वाह ! कितना सुंदर दृश्य है ?
????हाय, अब मैं क्या करूं ?
????आहा, हम मैच जीत गये ।
????जी हाँ, मैं जरूर आऊंगा ।
????ओह ! यह क्या हो गया ।
विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद
विस्मयादिबोधक अव्यय से प्रकट होने वाले मनोविकारों के आधार पर इनके निम्न सात भेद माने जाते हैं –
हर्षबोधक | आहा, वाह- वाह, धन्य- धन्य, शाबाश, क्या कहने, क्या खुब, जय |
शोकबोधक | हाय- हाय , हे राम , बाप- रे- बाप , आह, ऊह, हा-हा, त्राहि-त्राहि , तोबा- तोबा , दैया- दैया |
आश्चर्यबोधक | वाह, हैं, ऐं,ओहो, यह क्या, क्या |
अनुमोदनबोधक | ठीक, आह, अच्छा, शाबास, हाँ-हाँ |
तिरस्कारबोधक | छी: छी:, हट, अरे, दुर्, धिक्, चुप, धत्तेरे कि |
स्वीकारबोधक | जी हाँ, अच्छा जी , ठीक- ठीक, बहुत अच्छा , हाँ जी |
सम्बोधनबोधक | अरे , रे, अजी, लो,जी ,है, अहो, ओ |
इन्हें भी देखें –
- समास- अर्थ, परिभाषा, भेद, उदाहरण सहित
- हिंदी वर्णमाला – स्वर,व्यंजन उदाहरण सहित तथा प्रकार
- सर्वनाम – सर्वनाम की परिभाषा , भेद ,उदाहरण सहित