मौर्योत्तर काल : शुंग वंश तथा कण्व वंश का इतिहास
ब्राह्मण साम्राज्य का इतिहास
185 ई. पू. में मौर्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या करके शुंग वंश की स्थापना की ।
इस वंश की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है । सम्भवत: शुंग उज्जैन के आसपास निवास करते थे जहाँ इनके पूर्वज मौर्यों की सेवा में थे ।

शुंग वंश के शासक
शुंग वंश के शासक | शासन काल |
पुष्यमित्र शुंग | (185- 149 ई.पू.) |
अग्निमित्र | (149- 141 ई.पू.) |
वसुज्येष्ठ | ( 141- 131 ई. पू.) |
वसुमित्र | (131- 124 ई. पू.) |
अन्ध्रक | (124- 122 ई. पू.) |
पुलिन्दक | ( 122- 119 ई. पू.) |
घोष शुंग | – |
वज्रमित्र | – |
भगभद्र | – |
देवभूति | ( 83-73 ई.पू.) |
शुंग वंश का इतिहास ( sunga Vansh History in Hindi)
पुष्यमित्र शुंग
इस वंश की स्थापना 185 ई.पू. में मौर्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या करके की थी ।
शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की ।
पुष्यमित्र शुंग कट्टर ब्राह्मण वादी था । उसने दो अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया ।
सुप्रसिद्ध संस्कृत वैयाकरण पंतजलि उसके अश्वमेघ यज्ञ के पुरोहित थे ।
इंडो- यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया ।
भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया ।
पुष्यमित्र के बाद शुंगवंश में जो प्रमुख राजा हुए, उनके नाम थे – अग्निमित्र, ज्येष्ठमित्र, भद्रक, भागवत और देवभूति
शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था । इसकी हत्या के 73 ई. पू. में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की ।
कण्व वंश के शासक –
(१) वासुदेव
(२) भूमिपुत्र
(३) नारायण
(४) सूदर्शन या सुशर्मा
कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ । शिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की ।
इन्हें भी देखें-
- सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता )
- मौर्य वंश का इतिहास और स्रोत
- गुप्त वंश या गुप्त काल का इतिहास
- प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स