रावल तेज सिंह (Rawal Taj Singh) का इतिहास

राजपूत राजवंशों की उत्पत्ति में आज हम गुहिल वंश के रावल तेज सिंह (Rawal Taj Singh) का इतिहास की बात करेंगे ।

रावल तेज सिंह (Rawal Taj Singh) का इतिहास
रावल तेज सिंह (Rawal Taj Singh) का इतिहास

रावल तेज सिंह (1253-1273 ई.)

  • जैत्रसिंह के बाद उसका पुत्र तेजसिंह मेवाड़ का अधिपति बना । इसने ‘परमभट्टारक‘ , ‘महाराजाधिराज‘ एवं परमेश्वर आदि की उपाधि धारण की ।
  • इसके समय के घाघसा अभिलेख तथा इसके पुत्र पद्मसिंह के समय के चिरवा अभिलेख से ज्ञात होता है कि इसके पिता जैत्रसिंह ने तुर्की सेनाओं को खदेड़ कर भगा दिया था ।
  • तेजसिंह के शासन में दिल्ली के तुर्क सुल्तान बलबन ने 1253-54 के लगभग रणथंबोर, बूंदी एवं चित्तौड़ पर आक्रमण किया था , जिसे तेजसिंह ने सफलतापूर्वक वापस धकेल दिया था ।
  • तेजसिंह के समय ही धौकला के बघेल शासक वीरधवल का आक्रमण (1260 ई.) मेवाड़ पर हुआ, जिसमें चित्तौड़ के तलारक्ष क्षेम का पुत्र रत्न व मेवाड़ का प्रधान भीमसिंह वीरगति को प्राप्त हुए । तेजसिंह ने वीरधवल की सेना को खदेड़ दिया ।
  • इसने ‘उमापतिवरलब्धप्रौढ़प्रताप‘ की उपाधि धारण की ।
  • इसी के काल में 1261 ईस्वी में आहड़ में ‘श्रावक प्रतिक्रमणसूत्रचूर्णि‘ नामक ग्रंथ की रचना हुई, जो इसके काल की कला व साहित्य की उन्नति का घोतक है ।
  • तेजसिंह के बाद उसका पुत्र समरसिंह मेवाड़ का शासक बना ।

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