महाराजा जसवंतसिंह प्रथम (Maharaja jaswant Singh History in Hindi) का इतिहास

आज हम महाराजा जसवंतसिंह प्रथम (Maharaja jaswant Singh History in Hindi) के इतिहास की बात करेंगे ।

Maharaja jaswant Singh History in Hindi
Maharaja jaswant Singh History in Hindi

महाराजा जसवंतसिंह प्रथम जीवन परिचय (History of Maharaja jaswant Singh in Hindi)

महाराजा जसवंतसिंह प्रथम ( 1638-1678 ई.)

  • महाराजा गजसिंह के बाद उनके प्रिय पुत्र जसवंत सिंह जोधपुर के शासक बने । इनका जन्म 26 दिसंबर 1626 को बुरहानपुर में हुआ था ।
  • जोधपुर में जसवंतसिंह 30 अप्रैल 1640 ई. को वहाँ की गद्दी पर बैठे । बादशाह शाहजहाँ ने 1655 में इन्हें ‘महाराजा‘ की उपाधि से सम्मानित किया ।
  • जसवंत सिंह की पत्नी का नाम महारानी महामाया था ।

धरमत का युद्ध (1658 ई.)

  • 1657 में बादशाह शाहजहाँ रोगग्रस्त हुए । जब उनकी बीमारी की सूचना मिली तो उनके उत्तराधिकारिओं में राजगद्दी प्राप्त करने के लिए धरमत का युद्ध हुआ ।
  • यह युद्ध शाहजहाँ के पुत्रों दाराशिकोह व औरंगजेब के मध्य उज्जैन के निकट ‘धरमत’ नामक स्थान पर 16 अप्रैल 1658 ई. को हुआ ।
  • शाही सेना में दाराशिकोह के साथ महाराजा जसवंत सिंह थे । औरंगजेब , मुराद व शहजादा मोहम्मद आजम की सेना दूसरी तरफ थी । इस युद्ध में औरंगजेब विजय हुआ । इस विजय की स्मृति में धरमत का नाम ‘फतियाबाद‘ रखा गया ।

सामूगढ़ का युद्ध :- औरंगजेब और दाराशिकोह के मध्य आगरा के निकट सामूगढ़ के पास 30 मई 1658 को पुन: युद्ध हुआ । इसमें पुन: औरंगजेब विजय हुआ ।

  • जुलाई, 1658 में औरंगजेब ने अपना राज्याभिषेक कराया । 13 अगस्त 1658 को महाराजा जसवंत सिंह औरंगजेब की सेवा में उपस्थित हुए । बादशाह औरंगजेब ने सम्मान देकर उन्हें जहानाबाद का सूबा दिया ।
  • जब शूजा के सल्लनत की तरफ बढ़ने के समाचार मिले तो बादशाह औरंगजेब महाराजा जसवंत सिंह को साथ लेकर उसके विरूद्ध चल पड़े । खंजवा के मैदान (इलाहाबाद) में 5 जनवरी 1659 को युद्ध हुआ । इसमें भी औरंगजेब की विजय हुई ।
  • महाराजा जसवंतसिंह के प्रयासों से 1667 ई. में मराठों व मुगलों में संधि हुई ।
  • 28 नवंबर 1678 को महाराजा जसवंत सिंह का जमरूद (अफगानिस्तान) में निधन हो गया । इनकी मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा ‘आज कुफ्र (धर्म विरोध ) का दरवाजा टूट गया है ।
  • औरंगजेब ने मारवाड़ को खालसा राज्य घोषित किया व जसवंतसिंह के बड़े भाई नागौर के स्वामी अमरसिंह के पौत्र इन्द्रसिंह (रायसिंह का पुत्र) को शासक बनाया ।

महाराजा जसवंतसिंह की साहित्य उपलब्धियाँ :-

  • महाराजा जसवंतसिंह जी डिंगल भाषा के अच्छे कवि थे । उनके द्वारा लिखे भाषा ग्रंथ निम्न है – (1) भाषा भूषण (2) आनंद विलास (3)अनुभव प्रकाश (4) अपरोक्ष सिद्धान्त (5) सिद्धांत बोध (6) सिद्धांत सार (7) चन्द्र प्रबोध (8)आनंद विलास (संस्कृत में )
  • कवि नरहरिदास बाहरठ ने अवतार चरित्र , अवतार गीता, दशम स्कंध भाषा, नरसिंह अवतार कथा , अहिल्या पूर्व प्रसंग, रामचरित्र , काक भुशुंड, गरूड़ संवाद और ‘राव अमरसिंह जी रा दुहा’ ग्रंथों की रचना की ।
  • नवीन कवि ने ‘नेह निधान’ और ‘श्रृंगार शतक’ ग्रंथ की रचना की ।
  • निधान ने ‘जसवंत विलास’ लिखा ।
  • दलपति मिश्र ने ‘जसवंत उद्योग’ की रचना की ।
  • मुहणोत नैणसी ने ‘नैणसी की ख्यात’ और ‘मारवाड़ रा परगनां री विगत’ की रचना की ।

महाराजा जसवंत सिंह के समय के निर्माण कार्य :-

  • जसवंतसिंह की रानी अतिरंगदे ने जोधपुर में ‘जान सागर’ बनवाया , जो ‘शेखावतजी का तालाब‘ भी कहलाता है ।
  • जसवंतसिंह की रानी जसवन्तदे ने 1663 में ‘राई का बाग ‘ तथा ‘कल्याण सागर’ नाम का तालाब बनवाया था , जिसे ‘रातानाड़ा‘ भी कहते हैं ।
  • महाराजा जसवंत सिंह ने औरंगाबाद के बाहर अपने नाम पर ‘जसवंतपुरा‘ कस्बा बनवाया और उसके पास जसवंतपुरा नामक तालाब बनवाया ।
  • महाराजा जसवंतसिंह ने काबुल से मिट्टी व अनार के पौधे मंगवा कर जोधपुर के बाहर कागा नामक स्थान पर एक बगीचा लगाया ।
  • मंडोर की छतरियाँ व जसवंतसिंह की छतरी (आगरा ) बनवायी ।

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास में अगली पोस्ट में जोधपुर के राठौड़ शासक अजीतसिंह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

Leave a Reply

Scroll to Top