महाराजा मानसिंह राठौड़ (Maharaja ManSingh History in Hindi) का इतिहास

आज हम महाराजा मानसिंह (Maharaja ManSingh History in Hindi) के इतिहास की बात करेंगे ।

Maharaja ManSingh History in Hindi
Maharaja ManSingh History in Hindi

महाराजा मानसिंह का जीवन परिचय (History of Maharaja ManSingh in Hindi)

महाराजा मानसिंह (1804-1843 ई.)

  • मानसिंह राजा विजयसिंह के पौत्र और गुमानसिंह जी के पुत्र थे । इनका जन्म 13 फरवरी 1783 को हुआ था । महाराजा भीमसिंह की जोधपुर गद्दी पर बैठने पर उन्होनें जालोर दुर्ग का आश्रय लिया ।
  • 19 अक्टूबर 1803 को उनके चचेरे भाई महाराजा भीमसिंह का देहांत हो गया । उस समय भीमसिंह के देरावरी रानी गर्भवती थी । कुछ समय बाद देरावरी रानी के धोकल सिंह नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ । पोकरण ठाकुर सवाई सिंह ने उसे भाटी छत्रसिंह के साथ खेतड़ी भेज दिया ।
  • महाराजा मानसिंह 17 जनवरी 1804 को जोधपुर की गद्दी पर बैठे । पोकरण के ठाकुर सवाई सिंह को अपना प्रधानमंत्री तथा भंडारी गंगाराम को दीवान नियुक्त किया ।
  • जालौर दुर्ग के भीतर जलंधर नाथ का मंदिर था , वहाँ का पुजारी आयस देवनाथ था । आयस देवनाथ ने भविष्यवाणी की थी कि मानसिंह जोधपुर की गद्दी पर बैठेंगे । आयस देवनाथ की भविष्यवाणी सही होने के कारण महाराजा मानसिंह ने जोधपुर बुलाया व अपना गुरु बनाया । उनके लिए गुलाब सागर के ऊपर नाथ संप्रदाय का महामंदिर बनवाया ।
  • महाराजा मानसिंह द्वारा मेहरानगढ़ के किले में 2 जनवरी 1805 को ‘मान पुस्तकालय‘ की स्थापना की ।
  • इनके शासन काल में ही कृष्ण कुमारी विवाद हुआ था ।
  • महाराजा मानसिंह ने 19 अप्रैल 1817 को अपने हाथ से कुंवर छत्रसिंह का राजतिलक कर दिया । इस समय छत्रसिंह की आयु करीब 17 वर्ष की थी , इसलिए राज कार्य की देखभाल मेहता अखैचंद करने लगा ।
  • 6 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से चार्ल्स मेटकॉफ तथा जोधपुर के महाराजा मानसिंह द्वारा संधि की गई ।
  • 26 मार्च 1818 को महाराजकुमार छत्रसिंह की मृत्यु हो गई ।
  • पश्चिमी राजपूताने के पॉलिटिकल एजेंट कर्नल जेम्स टॉड नवंबर, 1819 में जोधपुर पहुंचे व महाराजा मानसिंह से मिले ।
  • अमीर खाँ पिंडारी ने जोधपुर के सिंधी इंद्रराज व आयस देवनाथ को मरवा दिया । आयस देवनाथ के मारे जाने के बाद महामंदिर का अधिकार उसके भाई भीमनाथ में अपने हाथ में ले लिया था । भीमनाथ व आयस देवनाथ के पुत्र लाडूनाथ में झगड़ा होता रहता था । इस पर महाराजा मानसिंह ने महामंदिर लाडूनाथ को सौंप दिया और भीमनाथ के लिए नगर के बाहर उदयसिंह नामक गांव बसाकर उदयमंदिर की स्थापना की ।

ऐरनपुरा :- यह स्थान सिरोही राज्य में था । वहाँ रखी जाने वाली सेना के अफसर मेजर डाउनिंग ने अपनी जन्मभूमि के टापू ‘एरन’ के नाम पर उस जगह का नाम ऐरनपुर रखा । वहाँ पर अंग्रेज सरकार ने छावनी बनाई थी । वहाँ पर जो सेना रखी गई उसका नाम ‘जोधपुर लीजियन’ रखा । ‘जोधपुर लीजियन‘ का गठन 7 दिसंबर 1835 ईस्वी को महाराजा मानसिंह व अंग्रेजों के बीच हुई संधि के तहत हुआ । 1857 की क्रांति के समय इस सेना ने बगावत की । अत: बाद में इसे तोड़कर 43वीं ऐरनपुरा रेजिमेंट कायम की गई ।

  • मारवाड़ राज्य में नाथों के प्रभाव के कारण हो रहे राज्य के कुप्रबंध को दूर करने के लिए कर्नल सदरलैंड व महाराजा मानसिंह के मध्य 24 सितंबर 1839 को एक नई संधि हुई, जिसके अनुसार जोधपुर दुर्ग में अंग्रेजी सेना के रखने की सहमति हुई ।
  • महाराजा मानसिंह का निधन 4 सितंबर 1843 को हो गया ।
  • महाराजा मानसिंह ने आयस देवनाथ की समाधि , भटियानी जी का महल , दुर्ग का जयपोल व भैरूपोल बनवाए ।

महाराजा मानसिंह द्वारा रचित ग्रंथ :-

????नाथ चरित्र (संस्कृत )
????विद्वज्जन मनोरंजनी (संस्कृत )
????जलंधर चरित
????जलंधर चंद्रोदय
????नाथ पुराण
????नाथ स्रोत
????नाथाष्टक
????जलंधर ज्ञान सागर
????तेजमंज्जरी
????पंचावली
????सेवासार
????मान विचार
????आराम रोशनी
????कृष्ण विलास
????84 पदार्थ नामावली
????सिद्ध गंगा , मुक्ताफल
????जोधपुर राज्य की ख्यात
????राग सागर
????बिहारी सतसई की टीका
????रागा रों जीलो
????नाथ प्रशंसा, नाथ जी की वाणी, नाथ कीर्तन, नाथ महिमा ,नाथ संहिता
????रामविलास

  • कविराज बाँकीदास द्वारा रचित ‘मानजसोमंडन’ ग्रन्थ ।
  • कवि शंभुदत्त कृत ‘नाथ चंद्रोदय ‘ , ‘जलंधर स्रोत’ व ‘राजकुमार प्रबोध ‘ ।
  • पंडित विश्वरूप कृत ‘गोरक्ष सहस्त्रनाम’ , ‘मेघमाला’
  • पंडित सदानंद त्रिपाठी कृत ‘अवधूत गीता’ , ‘सिद्ध तोषीणी’, ‘आत्म दीप्ति’ ।
  • भीष्मभट्ट कृत ‘विवेक मार्तण्ड’ की ‘योगितोषिणी’ टीका
  • मूलचंद्र कृत ‘मानसागरी महिमा’ , ‘नायिका लक्षण’
  • सेवग दौलतराम कृत ‘जलंधर जस वर्णन’
  • सुकालनाथ कृत ‘नाथ आरती ‘
  • व्यास ताराचंद कृत ‘नाथानंद प्रकाशिका’
  • मीर हैदर अली कृत ‘जलंधर स्तुति’

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास में अगली पोस्ट में जोधपुर के राठौड़ शासक महाराजा तख्तसिंह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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