महाराजा तख्तसिंह राठौड़ (Maharaja Takhat Singh History in Hindi) का इतिहास

आज हम महाराजा तख्तसिंह राठौड़ (Maharaja Takhat Singh History in Hindi) के इतिहास की बात करेंगे ।

Maharaja Takhat Singh History in Hindi
Maharaja Takhat Singh History in Hindi

महाराजा तख्तसिंह राठौड़ का जीवन परिचय (History of Maharaja Takhat Singh in Hindi)

महाराजा तख्तसिंह (1843-1873 ई.)

  • तख्तसिंह जी जोधपुर महाराज अजीतसिंह के वंशज करणसिंह के पुत्र और ईडर राज्य में अहमदनगर के स्वामी थे ।
  • इनका जन्म 6 जून 1819 को हुआ था । महाराजा मानसिंह का कोई उत्तराधिकारी न होने से महाराजा तख्तसिंह को महाराजा मानसिंह ने गोद लिया । 1 दिसंबर 1843 को जोधपुर में इनका राज्याभिषेक हुआ ।
  • महाराजा तख्तसिंह के समय ही 1857 की क्रांति हुई । इस समय महाराजा तख्तसिंह ने अंग्रेजों की सहायता की थी । ऐरनपुरा की छावनी के विद्रोही सैनिकों के आउवा पहुंचने पर महाराजा तख्तसिंह ने सिंघी कुशलराज व विजयमल मेहता के नेतृत्व में बिथौड़ा सेना भेजी , जहाँ उन्हें आउवा ठाकुर कुशाल सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने हरा दिया । सेनानायक अनाड़सिंह व राजमल मारे गए ।
  • 19 नवंबर 1866 को आयोजित आगरा के दरबार में गर्वनर जनरल लॉर्ड लोरेंस ने महाराजा तख्तसिंह को GCIE का खिताब दिया । इसी समय महारानी विक्टोरिया की तरफ से सलामी की तोपें 17 नियत की गई ।
  • महाराजा तख्तसिंह ने राजपूत जाति में होने वाली कन्या वध को रोकने के लिए कठोर आज्ञाएँ प्रसारित की और ऐसी आज्ञाओं को पत्थरों पर खुदवाकर मारवाड़ के तमाम किलों के द्वारों पर लगा दिया गया था ।
  • 1869 में हुक्मनामे का कानून बनाया गया ।
  • 1870 ई. में अंग्रेज सरकार ने जोधपुर राज्य के साथ नमक की संधि की ।
  • महाराजा तख्तसिंह ने जसवंतसिंह द्वितीय को युवराज पद देकर राज्य कार्य का प्रबंध सौंप दिया ।
  • 12 फरवरी 1873 को महाराजा तख्तसिंह का स्वर्गवास हो गया ।

महाराजा तख्तसिंह के निर्माण कार्य :-

????जोधपुर दुर्ग में चामुंडा का मंदिर
????गुलाबसागर पर राजमहल
????विद्यासाल, बालसमंद और छैलबाग के महल
????मंडोर में मानसिंह जी का थड़ा
????कायलाना का महल व तख्तसागर तालाब

महाराजा तख्तसिंह के समय साहित्य उपलब्धियां

महाराजा तख्तसिंह की जाड़ेजा वंश की रानी प्रताप कुँवरि (प्रतापबाला) ने ‘हरिपदावली’ और ‘रामपदावली’ नाम के दो ग्रंथ लिखे थे । इनकी कविताओं का संग्रह ‘प्रतापकुँवरि-पद-रत्नावली’ के नाम से प्रकाशित हो चुका है ।

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास में अगली पोस्ट में जोधपुर के राठौड़ शासक महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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