मुगल साम्राज्य का इतिहास – 2

Mugal Kal History in Hindi

 अकबर (1556- 1605 ई.)

 

Mugal Kal History in Hindi
Mugal Kal History in Hindi

सम्राट अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ईसवी को हमीदा बानो बेगम की गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ । अकबर के बचपन का नाम जलाल था ।

अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी,1956 ई. को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ । अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था । वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाह गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा ।

बैरम खाँ 1556 से 1560 ईसवी तक अकबर का संरक्षक रहा । वह बदख्शाँ का निवासी था । उसे प्यार से ‘खानी-बाबा’ कहा जाता था ।

पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर, 1556 को अकबर और हेमू के बीच हुई थी ।

31 जनवरी, 1561 को मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ की हत्या कर दी ।

मई, 1562 ईसवी में अकबर ने ‘हरम-दल’ से अपने आपको पूर्णत: मुक्त कर लिया ।

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 ई. को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ । इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ । इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आसफ खाँ ने किया था । अकबर का सेनापति मानसिंह था ।

गुजरात- विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और उसने सर्वप्रथम समंदर को देखा ।

गुजरात अभियान को इतिहासकार स्मिथ ने संसार के इतिहास का सर्वाधिक द्रुतगामी कहा है ।

दीन ए इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था । दीन ए इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अंतिम हिंदू शासक राजा बीरबल था । महेशदास नामक ब्राह्मण को राजा बीरबल की पदवी दी गई थी जो हमेशा अकबर के साथ रहता था ।

अकबर ने जैन धर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरु की उपाधि प्रदान की थी ।

राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासन काल में प्रचलित है ।

अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई. में दहसाल बंदोबस्त व्यवस्था लागू की ।

अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था । अकबर के दरबार का प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुर समद था । दसवंत और बसावन अकबर के दरबार के चित्रकार थे ।

अकबर की शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी ।

अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती थे ।

अकबर के नवरत्न

अबुल फजल , फैजी , तानसेन , बीरबल , टोडरमल , राजा मानसिंह , अब्दुल रहीम खान-ए-खाना , फकीर अजीमुद्दीन , मुल्ला दो प्याजा ।

अबुल फजल ने अकबरनामा ग्रंथ की रचना की । वह दीन ए इलाही धर्म का मुख्य पुरोहित था ।

अकबर ने भगवानदास को अमीर उल उमरा की उपाधि दी ।

युसूफजाइयों के विद्रोह को दबाने के दौरान बीरबल की हत्या हो गई । 1602 ई.में जहाँगीर के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर जा रहे अबुल फजल को रास्ते में वीर सिंह बुंदेला नामक सरदार ने हत्या कर दी ।

सम्राट अकबर ने ‘अनुवाद विभाग’ की स्थापना की। नकीब खाँ, अब्दुल कादरी बदायूनी तथा शेख सुल्तान ने रामायण व महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत का नाम ‘रज्मनामा’ रखा ।

पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ए- सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने यार-ए- दानिश नाम से किया ।

अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है । अकबर ने बीरबल को कविप्रिय एवं नरहरी को महापात्र की उपाधि प्रदान की ।

बुलंद दरवाजा का निर्माण अकबर ने गुजरात-विजय के उपलक्ष्य में करवाया था । चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय शुरू हुई ।

अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुल समद को एवं जड़ी कलम की उपाधि मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को दी ।

अकबर नक्कारा (नगाड़ा) नामक वाद्य यंत्र बजाता था ।

अकबर ने इलाही संवत 1583 ई. में जारी किया ।

तानसेन
तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था । उसका मूल नाम रामतनु पाण्डेय था । ध्रुपद गायन शैली का विकास तानसेन के समय में हुआ । अकबर ने तानसेन को कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि दी थी ।

तानसेन की प्रमुख कृतियां – मियां की मल्हार , मियां की टोड़ी, मियाँ सारंग , दरबारी कान्हड़ा

अकबर ने अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी 1571 ई. में स्थानांतरण की ।

पहली बार भित्ति चित्रकारी अकबर के समय में शुरू हुई ।

तुलसीदास मुगल शासक अकबर एवं मेवाड़ के शासक राणा प्रताप के समकालीन थे ।

आमेर के राजपूत शासक भारमल अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाले प्रथम राजपूत शासक थे ।

अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1605 ईस्वी को हुई। इसे आगरा के निकट सिकंदरा में दफनाया गया ।

अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश –

प्रदेश शासक वर्ष    मुगल सेनापति
मालवा    बाज बहादुर 1561 आधम खाँ , पीर मुहम्मद
चुनार  अफगानी  1562  अब्दुल्ला खाँ
गोंडवाना  वीरनारायण व दुर्गावती  1564  आसफ खाँ
आमेर  भारमल  1562  अधीनता स्वीकारी
मेड़ता  जयमल  1562  सरफुद्दीन
मेवाड़  उदय सिंह  1568 अकबर
मेवाड़ राणा प्रताप  1576  मानसिंह व आसफ खाँ
रणथंबोर  सुरजनहाडा  1569  भगवान दास एवं अकबर
कलिंजर  रामचंद्र  1569  मजनू खाँ काकशाह
मारवाड़  राव चंद्रसेन  1570  अधीनता स्वीकारी
जैसलमेर   रावल हरिराय 1570  अधीनता स्वीकारी
बीकानेर   कल्याणमल 1570  अधीनता स्वीकारी
गुजरात  मुजफ्फर खाँ  1571  अकबर
बिहार ,बंगाल  दाउद खाँ  1574-76  मुनीम खाँ खानखाना
काबुल  हकीम मिर्जा  1581  मान सिंह एवं अकबर
कश्मीर  यूसुफ याकूब खाँ  1586  भगवान दास एवं कासिम खाँ
उड़ीसा निसार खाँ 1592  मानसिंह
सिन्ध  जानी बेग  1593  अब्दुर्रहीम खानखाना
बलूचिस्तान  पन्नी अफगान  1595  मीर मासूम
कंधार  मुजफ्फर हुसैन  1595  शाह बेग
खानदेश  अली खाँ  1591  अधीनता स्वीकार
दौलताबाद  चांदबीबी  1599 मुराद,अबुल फजल, अकबर
असीरगढ़  मीरन बहादुर  1601  अकबर (अंतिम अभियान )

अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य –

कार्य  वर्ष
दास प्रथा का अंत  1562
अकबर को हरमदल से मुक्ति  1562
तीर्थयात्रा कर समाप्त  1563
जजिया कर समाप्त  1564
फतेहपुर सीकरी की स्थापना  1571
इबादतखाने की स्थापना 1575
मजहर की घोषणा 1579
दहसाला प्रणाली  1580
दीन ए इलाही की स्थापना  1582
इलाही संवत् की शुरुआत  1583
राजधानी लाहौर स्थानांतरित  1585

अकबर की स्थापत्य कला –

दिल्ली में हुमायूं का मकबरा ,आगरे का लाल किला ,फतेहपुर सीकरी में शाही महल , दीवानेखास, पंचमहल, बुलंद दरवाजा ,जोधा बाई का महल, इबादतखाना, इलाहाबाद का किला और लाहौर का किला ।

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