rajasthan ki sinchai pariyojana
राजस्थान की सिंचाई एवं नदी घाटी परियोजनाएँ
भारत के भौगोलिक भूभाग में राजस्थान 10.41% भू-भाग है, परंतु भारत के कुल सतही जल का राजस्थान में सिर्फ 1.16% जल ही उपलब्ध है ।
राजस्थान में सिंचाई संसाधनों में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र कुएँ व नलकूपों (66.38%) के अंतर्गत आता है । राज्य में कुएँ द्वारा सर्वाधिक सिंचित जिला जयपुर व नलकूपों द्वारा सर्वाधिक सिंचित जिला भरतपुर है ।
राजस्थान में सिंचाई संसाधनों में दूसरा स्थान नहरों (32.21%) का है । नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंचित जिले गंगानगर व हनुमानगढ़ है ।
राजस्थान में सिंचाई संसाधनों में तीसरा स्थान तालाबों (0.67%) का है । तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचित जिला भीलवाड़ा है ।

राजस्थान की प्रमुख नहरें एवं सिंचाई परियोजनाएँ (rajasthan ki sinchai pariyojana)
गंग नहर
????महाराजा गंगासिंहजी,जिन्हें बीकानेर का भागीरथ भी कहा जाता है ,1927 ई. में गंगनहर का निर्माण करवाया था । इसे बीकानेर नहर के नाम से भी जाना जाता है ।
????गंगनहर शहर का अभियंता कँवरसेन है, जो पद्मश्री से अलंकृत राजस्थान के प्रथम व्यक्ति हैं ।
????यह नहर पंजाब राज्य में सतलज नदी से फिरोजपुर के समीप हुसैनवाल से निकाली गई है ।
????गंग नहर की कुल लंबाई 292 किलोमीटर है ।
????यह नहर पंजाब राज्य में बहती हुई गंगानगर के खक्खां में प्रवेश करती है ।
????गंग नहर की प्रमुख शाखाएं करणजी, लालगढ़, समिजा, व लक्ष्मीनारायण जी है ।
????यह नहर गंगानगर को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाती है ।
गंगनहर लिंक चैनल
????गंगनहर लिंक चैनल सतलज नदी से लोहागढ़ (हरियाणा) से निकाली गई है ।
????इसकी पूर्ण लंबाई 80 किलोमीटर है , निर्माण 1980 में किया गया ।
????गंगनहर लिंक चैनल को साधुवाली के निकट गंग नहर में जोड़ा गया है ।
भरतपुर नहर
????भरतपुर नहर का उद्घाटन 1960 में हुआ तथा निर्माण कार्य 1963-64 में पूर्ण हुआ था ।
????यह राजस्थान व उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है । पश्चिम यमुना से निकलने वाली आगरा नहर से निकाली गई है ।
????इस नहर की कुल लंबाई 28 किलोमीटर है तथा यह राजस्थान के पूर्वी भाग को सींचित करती है ।
गुड़गांव नहर
????गुड़गांव नहर का निर्माण कार्य सन् 1966 में प्रारंभ हुआ तथा 1985 में पूर्ण हो गया । यह राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना है ।
????इस नहर का उद्गम स्थल ओखला के निकट हरियाणा में यमुना नदी से है ।
????इस नहर से भरतपुर जिले की डींग व कामाँ तहसील में सिंचाई होती है ।
????गुड़गांव नहर को यमुना लिंक नहर परियोजना के नाम से भी जाना जाता है ।
इंदिरा गांधी नहर
????इंदिरा गांधी नहर को राजस्थान की मरूगंगा, राजस्थान नहर ,मरुस्थल की जीवन रेखा के नाम से भी जाना जाता है ।
????इस नहर का श्रीगणेश 31 मार्च 1958 को प्रारंभ हुआ जिसका उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री गोविंद वल्लभ पंत के द्वारा किया गया ।
????प्रारम्भ में इस परियोजना का नाम राजस्थान नहर था, परंतु 2 नवंबर 1984 में इंदिरा गांधी के नाम पर ‘इंदिरा गांधी नहर’ नाम रख दिया गया ।
????इंदिरा गांधी नहर का उद्गम स्थल ‘हरिके बैराज’ पंजाब में फिरोजपुर के निकट (सतलज व व्यास)से है तथा अंतिम बिंदु गडरा रोड, बाड़मेर है ।
????इंदिरा गांधी नहर विश्व की सबसे बड़ी कृत्रिम परियोजना है ,जिसकी कुल लंबाई 649 किलोमीटर है ।
????इस नहर के ऊपरी भाग की चौड़ाई 67 मीटर, फीडर के तले की चौड़ाई 36 मीटर ,शीर्ष पर फीडर की गहराई 6.4 मीटर है । इंदिरा गांधी नहर में 7 लिफ्ट नहरें हैं ।
????सबसे लंबी लिफ्ट नहर कंवरसेन लिफ्ट नहर( 151.64 ) है ।
पुराना नाम | परिवर्तित नाम | लाभान्वित जिले |
लूणकरणसर लिफ्ट नहर | कँवरसेन लिफ्ट नहर | बीकानेर ,श्रीगंगानगर |
सहवा लिफ्ट | चौधरी कुंभाराम | बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू , झुंझुनू |
गजनेर लिफ्ट | पन्नालाल बारूपाल | बीकानेर, नागौर |
फलौदी लिफ्ट | गुरु जंभेश्वर | जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर |
कोलायत लिफ्ट | डॉ. करणी सिंह | बीकानेर ,जोधपुर |
पोकरण लिफ्ट | जयनारायण व्यास | जैसलमेर ,जोधपुर |
बांगड़सर लिफ्ट | वीर तेजाजी | बीकानेर |
????इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य के लिए वन सेना गठित की गई है ।
????नहर के दोनों तरफ वृक्षारोपण करके रेत के प्रसार को रोकने के लिए(CAZRI) काजरी ने व्यापक कदम उठाया है ।
????हनुमानगढ़ में सेमग्रस्त भूभाग में जल निकासी के लिए नीदरलैंड के आर्थिक सहयोग से ‘इंडो-डच- जल निकासी परियोजना’ चलाई जा रही है । इसके निवारण के लिए जिप्सम का प्रयोग किया जा रहा है ।
????वनारोपण व चारागाह विकास कार्यक्रम जापान की (OECF) संस्था के आर्थिक सहयोग से चलाया गया ।
????इस नहर से उर्जा उत्पादन केंद्र पूँगल ,बीसलपुर, चारणवाला है ।
चंबल नदी घाटी परियोजना
????चंबल नदी घाटी परियोजना मध्यप्रदेश व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है तथा दोनों राज्यों का हिस्सा बराबर- बराबर है ।
????चंबल नदी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है ।
????सन् 1960 तक प्रथम चरण का कार्य पूरा किया गया, जिसके अंतर्गत गांधी सागर बाँध व कोटा बैराज बाँध व सिंचाई नहरों का निर्माण किया गया ।
????मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुर तहसील में 1960 में गांधी सागर बाँध बनाया गया ,जो 62 मीटर ऊँचा व 510 मीटर लंबा है ।
????गाँधी सागर बाँध से दो नहरें निकाली गई है – दायीं नहर व बायीं नहर । दायीं नहर राजस्थान और मध्य प्रदेश में सिंचाई करती है , जो बूंदी में अरावली के समांतर बढ़ती हुई मेजा नदी में विलुप्त हो जाती है ।
????कोटा बैराज का निर्माण कोटा नगर के निकट चंबल नदी पर 1954 में किया गया । कोटा बैराज से दाएं और बाएं दो मुख्य नहर निकाली गई है ।
????राणा प्रताप सागर बाँध का निर्माण चंबल नदी पर चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा नामक स्थान पर किया गया । इस बांध का निर्माण 1970 में पूरा हो गया ।
????कनाडा के सहयोग से राणा प्रताप सागर बाँध पर परमाणु बिजलीघर की स्थापना की गई ।
????जवाहर सागर बाँध कोटा बैराज से 16 किलोमीटर दूर बोरावास गांव के निकट है तथा राणा प्रताप सागर बाँध से 33 किलोमीटर दूर है । यह एक पिक- अप बाँध है ।
भाखड़ा नाँगल परियोजना
????यह परियोजना राजस्थान, हरियाणा और पंजाब की संयुक्त परियोजना है ,जो देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है ।
????इस परियोजना से राज्य को 15.2% पानी प्राप्त होता है ।
????1909 में पंजाब के तत्कालीन गर्वनर लुइसडेन ने सतलज नदी पर बाँध बनाने का विचार प्रकट किया , परंतु परियोजना का निर्माण कार्य स्वतंत्रता के पश्चात 1947 में प्रारंभ किया गया तथा 1963 में राष्ट्र को समर्पित किया गया ।
????पंजाब राज्य के होशियारपुर जिले में सतलज नदी पर भाखड़ा बांध का निर्माण किया गया जो 226 मीटर ऊँचा व 518 मीटर लंबा है । यह भारत का सबसे ऊंचा बांध है ।
????भाखड़ा बाँध के जलाशय को ‘गोविंद सागर झील’ का नाम दिया गया है ,जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है ।
????भाखड़ा बाँध के निर्माण कार्य को देखकर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे ‘चमत्कारी विराट वस्तु’ की संज्ञा दी ।
????सतलज नदी पर ही भाखड़ा बाँध से 12 किलोमीटर नीचे नाँगल नामक स्थान पर नाँगल बाँध बनाया गया है ।
????भाखड़ा नांगल परियोजना से सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है तथा चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़ ,सीकर ,झुंझुनूं व बीकानेर जिलों को विद्युत प्राप्त होती है ।
व्यास परियोजना
????यह परियोजना राजस्थान, पंजाब ,हरियाणा की संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना है ।
????इस परियोजना में सतलज, रावी, व्यास नदियों के जल का उपयोग होता है ।
????व्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में 2 बांध – पंडोह बाँध व पाेंग बाँध बनाए गए हैं ।
????पोंग बाँध का मुख्य उद्देश्य इंदिरा गांधी परियोजना को जलापूर्ति करना है ।
????रावी- व्यास नदी जल विवाद के लिए 1986 में इराडी़ आयोग की स्थापना की गई ।
माही बजाज सागर परियोजना
????माही परियोजना गुजरात व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है । इस परियोजना का कार्य प्रारम्भ 1959-60 में हुआ ।
????यह एक जल विद्युत परियोजना भी है ।
????माही नदी पर बांसवाड़ा के निकट बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बाँध तथा गुजरात में कड़ाना बाँध बनाया गया है ।
????माही बजाज सागर परियोजना का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था ।
????इस परियोजना से बांसवाड़ा जिले के आदिवासी क्षेत्रों को लाभ पहुंच रहा है ।
नर्मदा परियोजना
????यह परियोजना मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है ।
????इस जल के उपयोग हेतु सरदार सरोवर बाँध (गुजरात) से नर्मदा नहर निकाली गई है । नर्मदा नहर का पानी राजस्थान के जालौर जिले के सांचौर तहसील के सीलू गांव में प्रवेश करती है ।
????इस परियोजना से जालोर के सांचौर तहसील तथा बाड़मेर में सिंचाई होगी ।
जवाई बाँध परियोजना
????जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने इस बाँध का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया, लेकिन निर्माण कार्य 1956 में पूर्ण हुआ ।
????एडगर व फर्गुसन की देखरेख में इस बाँध का निर्माण पूरा हुआ ।
????जवाई बाँध को मारवाड़ का अमृत सरोवर बाँध भी कहते हैं । यह बाँध पाली व जालौर में सिंचाई व पेयजल की आपूर्ति करता है तथा जोधपुर को पेयजल की आपूर्ति करता है ।
सेई परियोजना
????जवाई बाँध में पानी की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने सेई परियोजना का निर्माण उदयपुर जिले के कोटडा़ तहसील में करवाया है ।
ओराई परियोजना
????ओराई बाँध चित्तौड़गढ़ बूँदी सड़क मार्ग पर भोलापूरा गांव के निकट बनाया गया है । इससे चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा जिले को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है ।
जाखम परियोजना
????1962 में जाखम परियोजना का प्रारंभ जाखम नदी प्रतापगढ़ जिले के अनूपगढ़ गांव के निकट जाखम बांध बनाकर किया गया ।
????इस बांध का उद्देश्य प्रतापगढ़ और धरियाबाद तहसीलों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाना है ।
सिद्धमुख नोहर सिंचाई परियोजना
????इस परियोजना में रावी तथा व्यास नदियों की अतिरिक्त जल का उपयोग किया जा रहा है ।
????इस परियोजना से हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तथा चुरू जिले की राजगढ़ व तारानगर तहसीलों को जल प्राप्त होता है ।
????यह योजना यूरोपीय आर्थिक समुदाय के आर्थिक सहयोग से प्रारंभ की गई है ।
????इस परियोजना का शिलान्यास स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा 4 अक्टूबर 1989 को भिरानी गांव के समीप किया गया ।
????वर्तमान में इस परियोजना का नाम बदलकर राजीव गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है ।
बीसलपुर परियोजना
????बनास नदी पर टोंक जिले में टोडारायसिंह कस्बे से 13 किलोमीटर दूर बीसलपुर नामक स्थान पर बीसलपुर बाँध बनाया गया है ।
????इस बाँध का उद्देश्य टोंक ,जयपुर ,अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़ ,नसीराबाद, केकड़ी ,सरवाड़ को पेयजल की आपूर्ति करवाना है ।
????बीसलपुर परियोजना के लिए नाबार्ड के ग्रामीण आधार ढाँचा विकास कोष के आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है ।
????इस परियोजना से जयपुर शहर को भी पेयजल की आपूर्ति की जा रही है जिसके लिए टोंक के सूरजपुरा से सांगानेर- जयपुर के बालावाला ग्राम तक पाइप लाइन डाली गई है ।
????इस बाँध के पानी के विवाद को लेकर सोयला कांड (2005) में कुछ लोग मारे गए थे ।
पाँचना परियोजना
????गुड़ला गांव (करौली) के समीप गंभीरी नदी पर पाँचना बाँध बनाया गया है ।
????1979-80 पाँचना बांध का निर्माण कार्य गंभीरी नदी की 5 सहायक नदियों अटा, माची, बरखेड़ा ,भद्रावती, भैसावट के संगम पर सिंचाई के लिए 1 किलोमीटर लंबा मिट्टी का बांध बनाया गया है ।
????पाँचना बाँध की पूर्ण भराव की दशा में करौली शहर को डूबने से बचाने हेतु चूलीदेह परियोजना बनाई गई है ।
????यह राजस्थान का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है, जो अमेरिका के सहयोग से बनाया गया है ।
सोम- कमला- अंबा सिंचाई परियोजना
????यह बाँध डूँगरपुर में सोन नदी पर बनाया गया है ।
????बाँगड़ क्षेत्र जनजाति क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए परियोजना महत्वपूर्ण है । मुख्य उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में सिंचाई उपलब्ध करवाना है ।
राजस्थान राज्य की अन्य परियोजनाएं :- (rajasthan ki sinchai pariyojana)
बाँध | जिला | बाँध | जिला |
मोरेल बाँध | सवाई माधोपुर | बिलास सिंचाई परियोजना | कोटा |
गुढा़ बाँध | बूँदी | सोम कागदर | उदयपुर |
बाकली बाँध | जालौर | छापी सिंचाई परियोजना | झालावाड़ |
अड़वान बाँध | भीलवाड़ा | पीपलाद लिफ्ट | सवाई माधोपुर |
खारी बाँध | भीलवाड़ा | इंदिरा लिफ्ट सिंचाई | सवाई माधोपुर |
पार्वती योजना | धौलपुर | चौली परियोजना | झालावाड़ |
पश्चिमी बनास योजना | सिरौही | बैंथली परियोजना | बाराँ |
गंभीरी योजना | चित्तौड़गढ़ | अजान परियोजना | भरतपुर |
बाँदी सेंदड | जालौर | बंध बरैठा | भरतपुर |
नंद समंद | राजसमंद | नारायण सागर | अजमेर |
सुकड़ी परियोजना | उदयपुर | ईसरदा | सवाई माधोपुर |
जसवंत साग | जोधपुर | मनोहर थाना | झालावाड़ |
नाकोड़ा बांध | बाड़मेर | सुजलम परियोजना | बाड़मेर |
जग्गर परियोजना | करौली | हरीशचंद्र सागर परियोजना | झालावाड़ |
परवन लिफ्ट | बाराँ | चाकण परियोजना | बूँदी |
विलास परियोजना | बाराँ | भीमसागर परियोजना | झालावाड़ |
गरदड़ा परियोजना | बूँदी | ल्हासी | बाराँ |
तकली परियोजना | कोटा |
राज्य के अंतर्राज्यीय जल समझौते
समझोते/नदी | भागीदार राज्य |
रावी व्यास नदी | राजस्थान, पंजाब ,हरियाणा |
माही | राजस्थान, गुजरा |
चंबल नदी | मध्य प्रदेश, राजस्थान |
सतलज नदी | पंजाब ,हरियाणा, राजस्थान |
नर्मदा नदी | राजस्थान ,गुजरात, महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश |
यमुना नदी | राजस्थान ,दिल्ली ,उत्तर प्रदेश, हरियाणा हिमाचल प्रदेश |
जल संरक्षण एवं संग्रहण
????जल संग्रहण अर्थात् वर्षा का जल जो सामान्यता व्यर्थ बह जाता है उसको एकत्रित कर सुरक्षित रखना ।
????इसके अंतर्गत परंपरागत जल संग्रहण विधियों और रेन वाटर हार्वेस्टिंग विधि प्रमुख है ।
नाडी़ – यह एक प्रकार का पोखर है, जिसमें वर्षा का जल संचित किया जाता है । पश्चिमी राजस्थान में नाड़ी का निर्माण किया जाता है । जोधपुर, नागौर ,बाड़मेर व जैसलमेर में 38% पानी नाड़ी द्वारा पूरा किया जाता है ।
बावडी़ – यह एक सीढी़दार वृहद कुँआ होता है, जिसमें वर्षा जल के संग्रहण के साथ भूमिगत जल का संग्रहण भी होता है । शेखावाटी एवं बूंदी की बावड़ियां प्रसिद्ध है ।
खड़ीन – यह जल संग्रहण की प्राचीन विधि है । खड़ीन मिट्टी का बांधनुमा अस्थायी तलाब होता है जिसमें ढाल वाली भूमि के नीचे दो तरफ पाल उठाकर और तीसरी ओर पत्थर की दीवार बनाकर पानी रोका जाता है ।
खड़ीन का सर्वप्रथम प्रचलन 15 वी शताब्दी में जैसलमेर के पानीवाल ब्राह्मणों ने किया था । वर्तमान में इराक के लोग भी इस प्रणाली को अपनाए हुए हैं ।
टाँका – यह वर्षा के जल संग्रहण की प्रचलित विधि है जिसका निर्माण घरों अथवा सार्वजनिक स्थानों पर किया जाता है । राजस्थान के रेतीले क्षेत्र में वर्षा जल को संग्रहित करने की महत्वपूर्ण परंपरागत प्रणाली है इसे कुंड भी कहते हैं ।
टोबा/टाबा – यह नाडी़ के समान आकृति वाला होता है , परंतु नाडी से अधिक गहरा होता है ।
झालरा – यह अपने से ऊँचे तालाबों और झीलों के रिसाव से पानी प्राप्त करते हैं । झालरों का पानी पीने हेतु नहीं बल्कि धार्मिक रिवाजों तथा सामूहिक स्नान के उपयोग में आता है ।
1960 ई. मे निर्मित जोधपुर का महा मंदिर झालरा प्रसिद्ध है ।
कुई या बेरी – कुई या बेरी सामान्यतः तालाब के पास बनाई जाती है जिसमें तालाब का पानी रिसता हुआ जमा होता है । पश्चिमी राजस्थान में इनकी अधिक संख्या है ।
1. राष्ट्रीय जल ग्रहण विकास कार्यक्रम (NWDP)
1990- 91 में इसे राज्य के 10 जिलों में जारी किया, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि योग्य भूमि का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाना , स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना, प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी व सतत् विकास सुनिश्चित करना ।
2. पहल परियोजना
इसका शुभारंभ नवंबर 1991 में स्वीडन के सहयोग से प्रारंभ किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य कार्य योजना तैयार करना व क्रियाओं के साथ गांव के लोगों में अपने विकास के लिए स्वयं पहल कर सकने की चेतना जागृत करना ।
3. एकीकृत बंजर भूमि विकास परियोजना
इसका शुभारंभ 1992-93 में किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य जल ग्रहण परियोजनाओं के माध्यम से गैर वन क्षेत्र में लकड़ी, चारा, घास, मैदान करना ताकि स्थानीय निवासियों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके तथा बंजर भूमि को उपचारित कर उसकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके । यह केंद्र सरकार के सहयोग से 19 जिलों में चलाया जा रहा है ।
4. राजस्थान नदी बेसिन व जल संशोधन योजना विधेयक 2015
इसे 8 अप्रैल 2015 को लागू किया गया । नदियों को जोड़ने का कानून बनाने वाला देश का प्रथम राज्य है । इसका उद्देश्य ब्राह्मणी व बनास नदी को जोड़ने का निर्णय लिया गया ।
5. रेवा पेयजल परियोजना
इसका शुभारंभ 23 दिसंबर 2014 को किया गया । इससे झालावाड़ जिले के 49 गांव लाभान्वित हो रहे हैं ।
6. राजस्थान जल संसाधन नियामक प्राधिकरण
29 अगस्त 2013 को अनुमोदन किया गया । इसका मुख्यालय जयपुर में है ।
7. राजीव गांधी जल विकास एवं संरक्षण मिशन
इसका गठन 12 जनवरी 2010 को किया गया ।
8. हाइड्रोलॉजी एंड वॉटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट
यह मई 2013 को बीकानेर में सृजित किया गया ।
9. एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन परियोजना
इसके अंतर्गत केंद्र व राज्य का अंश अनुपात क्रमश: 90:10 होगा ।
10. जीवन धारा योजना
इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई हेतु को कुँओं निर्माण करना ।
11. राजस्थान जल क्षेत्र पुन: संरचना परियोजना
विश्व बैंक की सहायता से राज्य की सिंचाई परियोजनाओं के पुनरुद्धार व सतही जल संसाधनों के विकास एवं कुशल जल प्रबंध हेतु कृषकों की सहभागिता से संचालित ।
यह 21 मई 2002 को प्रारंभ किया गया ।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु :-
????राजस्थान राज्य की जलनीति 2010 में लागू की गई ।
????जैसलमेर से 52 किलोमीटर पूर्व की ओर मीठे पानी के लिए प्रसिद्ध नलकूप ‘चंदन नलकूप’ है , जिसे थार का घड़ा भी कहते हैं ।
????वर्ष 2003 को संयुक्त राष्ट्र संघ एवं केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ जल वर्ष घोषित किया गया है ।
????वर्षा जल को नाड़ी या तालाब में उतारने के लिए उसके चारों और मिट्टी को दबाकर आगोर (पायतान) बनाया जाता है ।
????नाड़ी या तालाब से अतिरिक्त जल की निकासी के लिए उसके साथ में नेहटा बनाया जाता है जिससे होकर अतिरिक्त जल निकट स्थित नाड़ी ,तालाब या खेत में चला जाए ।
????नाड़ी या टांके में जमा वर्षा का जल पालर पाणी कहलाता है ।
????नाड़ी या तलाब में जल आने के लिए निर्धारित की गई, धरती की सीमा को मदार कहते हैं ।
????रेन वाटर हार्वेस्टिंग टाँका का परिष्कृत रूप है ।
????रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट हेतु CII-TRIVENI वाटर इस्टीट्यूट की स्थापना जयपुर में की गई है ।
इन्हें भी देखें – Question Answer