वेद चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद । इन चार वेदों को संहिता कहा जाता है ।
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved Kitne Hote Hai)
ऋग्वेद :-
🔹ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है । इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त एवं 10462 ऋचाएँ हैं ।
🔹इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है ।
🔹विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है ।
🔹ऋग्वेद के नौवें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है ।
🔹इसके आठवीं मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को खिल कहा जाता है ।
🔹चातुष्वर्ण्य समाज की कल्पना का आदि श्रोत ऋग्वेद के दसवें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त है , जिसके अनुसार चार वर्ण ब्राह्मण ,क्षत्रिय वैश्य ,शूद्र हैं।
🔹वामनावतार के तीन पगों का उल्लेख प्राचीनतम स्रोत ऋग्वेद है ।
🔹ऋग्वेद में इंद्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है ।
यजुर्वेद :-
🔹यजुर्वेद में यज्ञों के नियमों एवं विधि विधानों का संकलन मिलता है ।
🔹यह वेद गद्य और पद्य दोनों में है । इसके दो भाग हैं – कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद
सामवेद :-
🔹इस वेद में यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों का संकलन है ।
🔹इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है ।
अथर्ववेद :-
🔹अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस वेद में कुल 731 मंत्र तथा लगभग 6000 पद्य हैं ।
🔹इसमें सामान्य लोगों की विश्वासों ,अंधविश्वासों का वर्णन है । जादू, टोने-टोटके ,भूत प्रेत ,जड़ी-बूटी सभी का वर्णन है ।
🔹इसमें सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है ।