Work, Power and Energy ki Paribhasha

कार्य (Work) किसे कहते हैं ?
बल और बल के अनुपयुक्त बिंदु द्वारा बल की दिशा में तय की गई दूरी के गुणनफल को बल के द्वारा किया गया कार्य कहा जाता है ।
अत: कार्य = बल x बल की दिशा में तय की गई दूरी
W= FxS |
बल एवं विस्थापन दोनों सदिश राशियां है परंतु कार्य अदिश राशि है ।
कार्य का मात्रक –
????C.G.S. पद्धति में मात्रक – अर्ग
????S.I. पद्धति में मात्रक – जूल
????F.P.S. पद्धति में मात्रक – फूट-पाउण्ड
????1 जूल = 10⁷ अर्ग
????1फूट-पाउण्ड = 1.356 जूल
शक्ति (Power) किसे कहते हैं ?
कार्य करने की दर अर्थात् इकाई समय में किये गये कार्य को शक्ति कहते हैं ।
शक्ति = कार्य/समय p = w/t |
शक्ति एक अदिश राशि है । शक्ति का S.I. मात्रक वाट (w) है , जिसे जेम्सवाट के नाम पर रखा गया है ।
1 वाट = 1जूल/ सेकंड = 1 न्यूटन मीटर/सेकंड
मशीनों की शक्ति को अश्व शक्ति ( Horse Power- H.P) में भी व्यक्त किया जाता है ।
1 अश्व शक्ति ( H.P.) = 746 वाट |
वाट, किलोवाट, मेगावाट तथा अश्व शक्ति शक्ति के मात्रक हैं ।
ऊर्जा (Energy) किसे कहते हैं ?
किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं ।
ऊर्जा का मात्रक वही मात्रक होता है, जो कार्य का मात्रक होता है और कार्य की भांति यह भी एक अदिश राशि है ।
ऊर्जा तथा कार्य का मात्रक वाट सेकंड (Ws) , वाट घंटा (Wh) तथा किलोवाट घंटा (kWh) है ।
1 वाट-सेकंड = 1वाट x 1 सैकण्ड = 1 जूल 1 वाट-घंटा = 3600 जूल 1 किलोवाट घंटा = 3.6 x 10⁶ जूल |
ऊर्जा के प्रकार :-
ऊर्जा दो प्रकार की होती है – (१) गतिज ऊर्जा (२) स्थितिज ऊर्जा
(1) गतिज ऊर्जा ( Kinetic Energy )
किसी वस्तु में गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं । जैसे – आंधी में टीन उड़ाने की क्षमता
यदि m द्रव्यमान की वस्तु v वेग से चल रही हो तो, गतिज ऊर्जा (KE) – 1/2 mv²
अर्थात किसी वस्तु का द्रव्यमान दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी और द्रव्यमान आधी करने पर उसकी गतिज ऊर्जा आधी हो जाएगी । इसी प्रकार वस्तु का वेग दुगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा 4 गुनी हो जाएगी और वेग आधा करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा 1/4 गुनी हो जाएगी ।
गतिज ऊर्जा एवं संवेग में संबंध –
K.E = p² /2m जहाँ p = mv
अर्थात् संवेग दोगुना करने पर गतिज ऊर्जा 4 गुनी हो जाएगी ।
(2) स्थितिज ऊर्जा ( Potential Energy)
किसी वस्तु में उसकी अवस्था या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं । जैसे :- बाँध बनाकर इकट्ठा किए गए पानी की ऊर्जा , घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा , तनी हुई स्प्रिंग ।
स्थितिज ऊर्जा (P.E.) = mgh
जहाँ m= द्रव्यमान , g= गुरुत्वजनित त्वरण, h= ऊंचाई
ऊर्जा के विभिन्न स्रोत –
(१) सौर ऊर्जा ( Solar Energy)
(२)जल ऊर्जा ( Hydro Energy)
(३) पवन ऊर्जा (Wind Energy)
(४) रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)
(५) विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy)
(६) नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy)
(७) ध्वनि ऊर्जा ( Sound Energy)
यांत्रिक ऊर्जा ( Mechanical Energy)
वह ऊर्जा जो किसी वस्तु में शारीरिक कार्य अथवा यांत्रिकी कार्य के कारण संचारित होती है, यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है । वस्तु की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा को संयुक्त रूप से यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं ।
कार्य ऊर्जा प्रमेय – किसी वस्तु पर लगे परिणामी बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है ।
ऊर्जा संरक्षण का नियम ( Law of Conservation of Energy)
ऊर्जा का न तो निर्माण होता है न विनाश अर्थात् विश्व की कुल ऊर्जा नियत रहती है । ऊर्जा का केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण होता है । जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है, ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट हो जाती है । यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है ।
ऊर्जा का रूपांतरण (Transformation of Energy)
ऊर्जा रूपांतरण का नियम वॉन-हैल्मोट्ज नामक वैज्ञानिक ने दिया था ।
उपकरण | ऊर्जा का रूपांतरण |
सौर सेल | प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में |
डायनेमो | यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में |
विद्युत मोटर | विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में |
माइक्रोफोन | ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में |
लाउडस्पीकर | विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में |
सितार | यांत्रिक ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा में |
मोमबत्ती का जलना | रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में |
ब्लब/ हीटर का जलना | विद्युत ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में |
कोयले का जलना | रासायनिक ऊर्जा को उष्मा ऊर्जा में |
विद्युत सेल | रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में |
इंजन | उष्मा ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में |
प्रकाश विद्युत सेल | प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में |